Wednesday, September 24, 2014

Stop cruelty to animal-

किसी भी धर्म के नाम पर पशु हत्या सभ्य समाज पर प्रश्न चिन्ह है चाहे बकरीद हो या देवी पूजा। किसी कानून के बजाय धार्मिक गुरुओं व् समाज सुधारकों को स्वयं पहल करनी होगी। बेजुबानों की कीमत पर हम त्यौहार क्यों मनाते हैं ? क्या उत्सव का यही एक तरीका बचा है.?

Sunday, June 8, 2014

For quality education-

जुलाई मे जब तक सरकारी स्कूल अँगड़ाई ले रहे होंगे तब तक पब्लिक स्कूल आधा कोर्स खत्म कर चुके होंगे . Think to convert government schools into Modern Model Schools.This is time for QUALITY Education . In India still majority of students r covered by govt.schools.(Modernization does not mean privatization.

Wednesday, June 4, 2014

अनाथ सड़कें-

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हिंदुस्तान में रोड एक्सीडेंट में रोजाना 461 लोग मारे जाते हैं अर्थात वर्ष भर में 1,68,265 -कहने का तात्पर्य यह है कि एक साल में एक क़स्बा इतिहास बन जाता है । यह संख्या मामूली नहीं है। कुछ बेहतर तकनीक का प्रयोग कर इन घटनाओं को कम किया जा सकता है। प्रत्येक सड़क पर डिवाइडर के निर्माण और पैराफीट बना देने, फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त कर देने से भी बहुत घटनाएँ रोकी जा सकती हैं। सरकार को आम जनता से भी सुझाव जरूर लेना चाहिए। सड़कों को अनाथ नहीं छोड़ा जा सकता आखिर सड़कें विकास की सबसे अहम कड़ी जो हैं.

Tuesday, May 27, 2014

kavi aur chunav-

एक कविराज जो कविता सुनाने के लिए लाखों से नीचे इस आधार पर जाने से मना कर देते थे कि इस देश की जनता ने "निराला जी" को गरीबी में मार डाला - उन्होंने चार  महीने वोट पाने के लिए फ्री में कविता सुनाई।  हालाँकि फ्री कविता के बदले उन्हें वोट बहुत काम मिला। इसके बजाय कहीं मंच पर जाते तो करोड़ों कमाते इतना नुक्सान पता नहीं वे कैसे झेल रहे होंगे ? 

Friday, May 23, 2014

बिल्ली के घर भैस नहीं लगती-

बिल्लियों की कोई दूध की डेरी नहीं होती- यह हम सबको पता है . कुछेक अपवादों को छोड़कर सभी पार्टियाँ राज्यों के मुखिया  बनाने के लिए कुछ दान लेती हैं यह दान करोड़ों में होता है।जरा दिमाग लगाइये कि आंतरिक लोकतंत्र का दावा करने वाले दलों के विधायक के बजाय पार्टी हाई कमान राज्यों का मुखिया क्यों चुनता है- चुनता ही नहीं इस बात का अभय दान भी देता है की कब तक इस पद वह रह सकता है। अगर ऐसा नहीं होता तो नियमानुसार वह अपना इस्तीफा गवर्नर को न देकर पार्टी हाई कमान को क्यों देता है क्योंकि वहां बात मैनेज हो जाती है जो गवर्नर के यहाँ नहीं हो सकती। ये मैनेज करना क्या होता है आप बेहतर जानते हैं अन्यथा क्या कारण है कि विधायकों की नाराज़गी के बावजूद राज्य के मुखिया को आला कमान का अभय दान मिल जाता है। केजरीवाल गलत हो सकते हैं लेकिन आला कमान की भूमिका में रह चुके भाई लोग व् अम्मा जी कब के ईमानदार हो गए जो पूंजीपतियों से करोड़ों लेकर पालिसी तक बदलवा देते हैं। सत्ता में करीबी दखल रखने वाले सोशल साइट्स के दोस्त इसे बखूबी जानते हैं। फ़िलहाल इतना मुझे पता है कि बिल्ली के घर भैंस नहीं लगती। (सत्यमेव जयते )

Friday, April 25, 2014

गली मोहल्ला संस्करण -

मीडिया खास तौर से अख़बारों और रीजनल चैनल पर स्थानीय घटनाएं जिस तरह जगह घेरती जा रही हैं उसको देखकर लगता है कि कुछ दिन बाद किस घर- किस किचन में क्या खाना बना यह भी इनमें प्रकाशित होगा।  आपत्ति इस बात पर नहीं वरन प्रश्न यह है कि देश दुनिया की खबर कहाँ से पढ़ी जाय ? इनके पेज का आधे से ज्यादा  विज्ञापन होता है।  विज्ञापन किसी अखबार और मीडिया में कितना होगा इसकी भी कोई सीमा नहीं। होगी भी तो पाठक क्या कर लेगा ? पढ़ते रहिये आज फलां गांव के फलां  स्कूल में बकरी चरने आयी और इस मोहल्ले में कुछ लोगों  को कुत्ते ने दौड़ा लिया। फ़िलहाल अगर मार्केटिंग बढ़ाने का यही तौर तरीका रहा तो अगले कुछ दिनों में  गली मोहल्ला संस्करण पढ़ने के लिए तैयार रहिये।  इक्के (तांगे ) का घोड़ा फिर भी दूर तक देख लेगा इक्कीसवीं सदी के हिन्दुस्तान को गली-मोहल्ले वाले चौथे खम्भे के आगे पीछे ही घूमना बदा है।(Exceptions r everywhere ). -(सत्यमेव जयते)  

Saturday, April 5, 2014

Free Tibet Movement-

तिब्ब्त- एक देश जो आजाद तो नही पर  जिन्दा जरूर  है .

Friday, March 28, 2014

A truck can teach-

एक ट्रक के पीछे लिखा था -
"सामने देख-सपने न देख  "

Tuesday, March 18, 2014

डिनर से पैसा-

सुना है कुछ लोग डिनर से पैसा इकठ्ठा कर रहे हैं.… 
किसी के साथ खाना खाने के लिए चन्दा देने की क्या जरुरत ?
जितने लाख डिनर में दिया उतने में तो सैकड़ों  गरीबों-जरूरतमंदों को खुद खिला सकते थे
किसी भी गरीब के घर जाइये - खाइये - वो भले ही भूखा हो आपको खिलायेगा -पैसा तो कत्तई नहीं मांगेगा
आखिर ये हमारी संस्कृति है, हम कितना भी गिर जाएं  भौतिकता का नशा अभी इतना भी  नहीं चढ़ा।-(सत्यमेव जयते)

Thursday, March 6, 2014

एक ग़िला :-

जो मैं कहना चाहता था अक्सर या  तो कह नहीं पाया या फिर लोगों ने  उसका दूसरा मतलब निकाल लिया।

Saturday, January 11, 2014

रुकना मना है-

इस दुनिया में रुकना मना है
 कहीं झुक के निकल जाओ
 कहीं रुक के निकल जाओ-ललित