Monday, May 16, 2011

काश जो करते कलम की नोक पैनी
उन करों में है हथोडा और छेनी
शीश पर अपने गरीबी ढो रहे हैं
भोजनालय में पतीली धो रहे हैं
जो खिलौना चाँद सा मांगे कहाँ वो कृष्ण पाऊँ
रो रहा बचपन मै कैसे मुस्कराऊँ ?
-डॉ राजीव राज 9412880006

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