काश जो करते कलम की नोक पैनी
उन करों में है हथोडा और छेनी
शीश पर अपने गरीबी ढो रहे हैं
भोजनालय में पतीली धो रहे हैं
जो खिलौना चाँद सा मांगे कहाँ वो कृष्ण पाऊँ
रो रहा बचपन मै कैसे मुस्कराऊँ ?
-डॉ राजीव राज 9412880006
Monday, May 16, 2011
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