नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हिंदुस्तान में रोड एक्सीडेंट में रोजाना 461 लोग मारे जाते हैं अर्थात वर्ष भर में 1,68,265 -कहने का तात्पर्य यह है कि एक साल में एक क़स्बा इतिहास बन जाता है । यह संख्या मामूली नहीं है। कुछ बेहतर तकनीक का प्रयोग कर इन घटनाओं को कम किया जा सकता है। प्रत्येक सड़क पर डिवाइडर के निर्माण और पैराफीट बना देने, फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त कर देने से भी बहुत घटनाएँ रोकी जा सकती हैं। सरकार को आम जनता से भी सुझाव जरूर लेना चाहिए। सड़कों को अनाथ नहीं छोड़ा जा सकता आखिर सड़कें विकास की सबसे अहम कड़ी जो हैं.
Wednesday, June 4, 2014
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment