जिन्दा रखता है मगर जीना मुहाल रखता है
मेरा मसीहा भी मेरा कितना ख्याल रखता है..
दिन तो गुजर जाता है पेट से वफा करने मेँ
रात को दिल मगर हजारोँ सवाल रखता है..
लाली चेहरोँ से सियासतदानोँ के टपकती रहती है
धन काला है मगर चेहरोँ को लाल रखता है..
फँसा लेता है सामने आ जाये कोई मछली अगर
छिपा कर अपने वजूद मेँ हर शख्स जाल रखता है..
बूढ़े बाप की दवाई की पर्ची खो जाती है अक्सर
मगर बेटा वसीयत को बहुत सम्हाल रखता है..
माँ ने एक उम्र तक धोयी थी उसकी गन्दगी 'हरमन'
वो माँ के पास जाता है, मुँह पर रुमाल रखता है........
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