हिंदुस्तान में आर्थिक सुधारों के बाद समय आ गया है की राजनैतिक सुधारों की
बात की जाय . राजनैतिक सुधारों की बात इसलिए भी जरूरी है क्योंकि राजा
(शासक ) के भाग्य से प्रजा (देश )का भाग्य निर्धारित होता है . प्रजा अपने
भाग्य और अपनी नियति से खुश नहीं और राजा को अपने आर्थिक सुधारों से फुर्सत
नहीं .मसलन आर्थिक सुधार के लिए राजा के सभासद अपने-अपने क्षेत्र में
विकास निधि की धनराशि भी उसी व्यक्ति, स्कूल या ठेकेदार को देना पसंद करते
हैं जो 40% उन्हें वापस लौटा दे .दाता भी खुश- पाता भी खुश ;दोनों मजे में
हैं ,बीच में नाखुश इस देश का भाग्य है .जनता वोटर बनकर धन्य है ,कृतकृत्य
है ; इलेक्टर बनने और इलेक्ट हो जाने की उसे फुर्सत भी नहीं है .-सत्यमेव
जयते
Saturday, October 27, 2012
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