मन की गति से शरीर में परिवर्तन आते हैं .विभिन्न रोगों की उत- पत्ति में भी मन का हाथ होता है .मन के विचार पकड़ में कम आ पाते हैं जिन्दगी यूँ ही बीतती जाती है . मन पे लगाम लगा लेना एक निरंकुश हाथी को नियंत्रित करने जैसा है .मन झुनझुना पकड़ा -पकड़ा के चकमा देता है कि ये सही है या वो सही है. इस संसार में सब कुछ नियंत्रित करने वाली पराशक्ति है जो जिसको जब जैसा बनाना चाहे बनाती है .उस पराशक्ति का प्रक्षेपण मन में होता रहता है मन के विचारों को समझ कर उस पराशक्ति से संवाद बनाया जा सकता है.
Friday, April 5, 2013
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