गली मोहल्ले के पाप तो सबको नज़र आ जाते हैं लेकिन मंदिर के पाप आसानी से नज़र नहीं आते .या तो उन्हें छुपा दिया जाता है या नज़रंदाज़ कर दिया जाता है सबकी हिम्मत भी नहीं कि उस पाप को उजागर कर सके . इसके पीछे हमारी वह मान्यता भी है की मंदिर पुण्य -धाम हैं और पुजारी एक पवित्र व्यक्ति .सेना ,संसद ,न्यायालय ऐसे ही मंदिर थे जिन पर कोई उंगली नहीं उठता था .आज जब ये मंदिर भी गली मोहल्ले के पाप कमाने लगे हैं तो समाज भला कब तक सहन करता .इन जगहों के पाप क्या इसलिए माफ़ किये जा सकते हैं की ये पाप तो मंदिर में हुए हैं ? पाप तो आखिर पाप है वो चाहे गली मोहल्ले में हो या मंदिर-मस्जिद में .पुजारी और मौलवी का पाप पूरे राज्य को ,पूरे समाज को संकट में डालता है इनके पाप गली मोहल्ले के पाप से ज्यादा खतरनाक हैं .दीवारें पाप नहीं करतीं लेकिन पापी पुजारियों को वे बदल भी नहीं सकतीं उन्हें बदलने के लिए समाज को आगे आना पड़ता है , हिम्मत करनी पड़ती है।-सत्यमेव जयते
Friday, July 27, 2012
Subscribe to:
Posts (Atom)