मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है . समाज को सामाजिक संबंधों का जाल कहा गया है .इन्ही सामाजिक संबंधों की वजह से प्यार है -तकरार है ,नफरत है -शोहरत है , भीड़ है -तन्हाई है ,खुशी है -गम है , सत्कार है -तिरस्कार है ,धर्म है -अधर्म है , मकान है -दुकान है वगैरह -वगैरह.....दुनिया के हर कोने में इसकी मौजूदगी है . समाज चैन देता है तो समाज बेचैन भी करता है ,समाज लुभाता भी है समाज डराता भी है . कुल मिलाकर समाज की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यह है कि "समाज जीने भी नहीं देता और समाज के बिना जिया भी नहीं जाता " .-सत्यमेव जयते
Sunday, May 20, 2012
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