Tuesday, July 5, 2011

safar me dhoop to hogee

सफ़र में धूप तो होगी
निदा फाजली की एक बेहतरीन रचना -

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आपको खुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज धुवां धुंवा है फिजा
खुद अपने आपसे बाहर निकल सको तो चलो

यही है जिन्दगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो। - निदा फाजली

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