हिंदुस्तान में मार्निंग वाक पर निकलने वाली जनसँख्या इतनी बड़ी हो चली है
कि यदि यह जनसँख्या निकटवर्ती किसानों के खेतों में कुछ काम कर अपनी चर्बी
घटाए तो देश का उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है .-सत्यमेव जयते
Thursday, January 31, 2013
Friday, January 11, 2013
मुक्ति से गहरा बंधन का नाता-
चाहता हूँ रिक्त हो जाऊं
दुखों से पार
उलझनों के पार
हर जगह जहाँ जाता हूँ आवाजें ही आवाजें पाता हूँ
कभी बाहर की आवाजों से घबराता हूँ
कभी अन्दर की आवाजों को दबाता हूँ
मैं ढलता जाता हूँ उसी तरह जिस तरह दुनिया चाहती है
दुनिया की नज़रों में अपनी अहमियत बनाये रखने को
मैं अपने को छोड़ता जाता हूँ -मोड़ता जाता हूँ
सारी शर्तों को मानने के बाद भी आवाजें पीछा नहीं छोड़तीं
पलट कर दुनिया को जवाब देने को जी चाहता है
फिर सोचता हूँ -
इस दुनिया ने ही तो मुझे दुनिया दी
हवा,पानी, निवाले, खुशी-गम, प्यार -तकरार
इसी मिट्टी के तो हैं जिस मिट्टी से हम हैं
मिट्टी से मिट्टी का पुराना नाता है
इसलिए यह जग लुभाता है
बार -बार हर बार लौट-लौट आता है
मुक्ति से ज्यादा गहरा बंधन का नाता है
मुक्ति से ज्यादा गहरा बंधन का नाता है -ललित
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